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Friday, May 5, 2023

Enlist the name of the pathogens

 Enlist the name of the pathogens

Milk can be a source of various pathogenic microorganisms that can cause foodborne    illness. Here are 20 examples of pathogens that may be present in milk:

1.    Listeria monocytogenes

2.    Salmonella spp.

3.    Escherichia coli (E. coli)

4.    Staphylococcus aureus

5.    Bacillus cereus

6.    Mycobacterium tuberculosis

7.    Yersinia enterocolitica

8.    Campylobacter jejuni

9.    Cryptosporidium spp.

10. Giardia spp.

11. Shigella spp.

12. Streptococcus agalactiae

13. Brucella spp.

14. Mycobacterium bovis

15. Coxiella burnetii

16. Vibrio cholerae

17. Proteus spp.

18. Aeromonas hydrophila

19. Clostridium perfringens

20. Enterococcus spp.

It's important to note that not all strains of these microorganisms are pathogenic and that the presence of these microorganisms in milk can vary depending on the quality of milk and the conditions of production, handling, and storage. The pasteurization process is an effective method to kill most of these microorganisms and reduce the risk of foodborne illness associated with milk consumption.

Tuesday, January 24, 2023

स्वच्छ दुग्ध उत्पादन

 

स्वच्छ दुग्ध उत्पादन

अभय कुमार दुबे

संजय गाँधी गव्य प्रधोगिकी संस्थान, पटना-14

भारत दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में पुरे विश्व में सर्वप्रथम है, पुरे विश्व के दुग्ध उत्पादन में भारत की भागीदारी 23 प्रतिशत है भारत में दुधारू पशुओ की संख्या 125.34 मिलियन है एवं वर्ष 2022 में  भारत लगभग 210 मिलियन दुग्ध का उत्पादन हो रहा है दुग्ध एक ऐसा आहार है जो की किसी न किसी रूप में हमारे रोज के दिनचर्या में सामिल है सभी वर्ग के लोग रोजाना किसी न किसी रूप में दुग्ध ले रहे है आज अपना देश निरंतर दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है लेकिन सर्वाधिक दुग्ध उत्पादन करने का क्या ही फायदा जब हम दुग्ध की गुणवता और स्वछता पर ध्यान ही न दे दुग्ध पशु के द्वारा प्राप्त किये जाने वाला पदार्थ है, और इसके स्वच्छता, गुणवता, उत्पादन, प्रसंस्करण, भंडारण, और उप्भोग्ता को वितरण के दौरान कई कारको से प्रभावित होता है आज के समय में स्वच्छ दुग्ध उत्पादन देश की अहम समस्या बनी हुई है वैसे लोग जो की डेयरी उधमी है और दुग्ध एवं दुग्ध पदार्थो का उत्पादन करते है उनके लिए ये तो और भी अहम हो जाता है की वे स्वच्छ दुग्ध का उत्पादन करे क्योंकि दुग्ध बहुत ही जल्दी ख़राब होने वाला पदार्थ है और अगर यह अशुद्ध हो तो और भी जल्दी ख़राब हो जाता है एवं ऐसे दुग्ध के सेवन से कई तरह की बीमारियाँ हो सकती है । अब आप सबके मन में एक सवाल आ रहा होगा की ये स्वच्छ दुग्ध है क्या हम जो दुग्ध दुहते है वो स्वच्छ नहीं है?

तो आइये जानते है स्वच्छ दुग्ध किसे कहते है, स्वच्छ दूध को स्वस्थ दुधारु पशु के थन से निकाले गए दूध के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो की स्वच्छ सुखी दूध दुहने वाली बाल्टी में एकत्र किया जाता है जो की गंदगी, धुल, मिट्टी, घास-फुश आदि जैसे बाहरी पदार्थो से मुक्त होता है । इस दुग्ध में शूक्ष्म जीवाणुवों की संख्या कम होती है और इसका स्वाद समान्य होता है एवं यह मानव उपभोग के लिए सुरक्षित है।

अब जो अगला प्रश्न आप सभी के दिमाग में जो चल रहा होगा वह यह है की आखिर स्वच्छ दूध उत्पादन के लिए हमे क्या करना चाहिए ऐसे कौन से तरीके है जिससे की हम स्वच्छ और शुद्ध दूध का उत्पादन कर सकते है?

स्वच्छ दुग्ध उत्पादन को प्रभावित करने वाले मुख्य कारण: -

C  पशु के शरीर पर जमी गंदगी

C  पशुशाला में गंदगी एवं आस पास में साफ़-सफाई न होना

C  पशु के थन पर किसी भी तरह का संक्रमण होना

C  दूध दुहते वक़्त पूंछ हिलाने से संक्रमण

C  दूध दुहने वाले व्यक्ति का अस्वस्थ होना

C  दूध दुहने वाले व्यक्ति के नाख़ून, बाल इत्यादि बड़े होना

C  दूध के बर्तन सही तरह से साफ़ न होना

C  दुग्ध के पहले बूंद को भी बाल्टी में अन्य दूध के साथ मिला देना भी एक मुख्य कारण है ।

स्वच्छ दुग्ध उत्पादन के लिए सुझाव: -

1.   पशुशाला की साफ़-सफाई अच्छे से करे, अगर पशुशाला स्वच्छ हो तो पशुओं पर सकरात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे की पशु तनाव में नहीं रहता एवं दुग्ध की गुणवता, मात्रा दोनों बढती है।

2.    दूध दुहने से पहले पशुओं की साफ़-सफाई बहुत ही महतवपूर्ण है हमे पशु को अच्छी तरह से धो लेन चाहिए ताकि पशु के शरीर पर जो गंदगी जमी है, वो दूध को दूषित न करे। पशु के शरीर पर लगे गोबर, धुल, मिट्टी आदि दुग्ध को दूषित कर देते है, जिससे की दूध में सूक्ष्म जीवाणुओं की संख्या बढ़ जाती है।

3.    दूध दुहने से पहले पशु की थान की सफाई गुनगुने पानी से साफ़ करना चाहिए उसके उपरांत लाल दवा (पोटैशियम परमैंगनेट) के घोल से साफ़ करना चाहिए।

4.   अगर हम बछड़े को दूध पिने के लिए छोड़ते है तो उसके उपरांत भी हमे थन को साफ़ करना चाहिए ऐसा करने से थनैला रोग का भी खतरा कम रहता है ।

5.   पशु की पूंछ को दूध दुहते वक़्त पिछले किसी पैर से बाँध देना चाहिए ताकि पशु की पूंछ न हिले । जब दुग्ध निकालते पशु पूंछ हिलाती है तो संक्रमण का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है।

6.   जिस बर्तन में दूध निकलना है उसकी सफाई भी बहुत महत्वपूर्ण है, दूध के बर्तन कि सफाई सदैव सर्फ़ से ही करे, राख और मिट्टी का प्रयोग न करे।

7.   जो व्यक्ति दूध दुहने वाला है उसका स्वस्थ होना बेहद जरुरी है । अगर ग्वाला समान्य सर्दी जुकाम से ग्रषित है तो दूध दुहते वक़्त नाक मुह को साफ़ गमछे से ढँक ले।

8.    दूध दुहते वक़्त साफ़ और स्वच्छ कपड़े ही पहने, नाख़ून व बाल छोटे छोटे हो इसका भी ध्यान रखे एवं दूध दुहने से पहले अपने हाथों की सफाई कीटाणु नाशक पदार्थ से करनी चाहिए।

9.    दूध दुहते वक़्त दूध की पहली धार को व्यर्थ बहा देना चाहिए क्योंकि दूध की पहली धार में जीवाणुवों की संख्या अत्याधिक होती है।

10.   दूध दुहने के बाद दूध को ठन्डे वातावरण में रखे ताकि उसकी गुणवता बरकरार रहे।

स्वच्छ दुग्ध उत्पादन के फायदे: -

1.    मानव उपभोग के लिए सुरक्षित है

2.    बेहतर गुणवता के कारण लम्बे समय तक रखा जा सकता है

3.    उच्च मूल्य पर विक्री हो सकती है

4.    कई तरह के रोगों से बच सकते है

5.    उच्तम गुणवता वाले दुग्ध से बने पदार्थों का निर्माण होता है  

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